कुमारस्वामी की जीवन गाथा



12 मई 2018 को कर्नाटक राज्य में चुनाव हुआ, 15 मई 2018 को नतीजे आए और 16 मई 2018 की सुबह बीजेपी के येदियुरप्पा जी का शपथ ग्रहण समारोह भी हो गया। येदियुरप्पा जी को भी क्या मालूम था कि उनकी कुर्सी तीन दिन के भीतर खिसक जाएगी। यह कुछ ऐसे ही हुआ जैसे किसी नाटक के मंचन के समय स्टेज सजा और कुर्सी पर राजा अभी विराजित भी न हो पाए थे कि भड़भड़ा कर स्टेज गिर गया हों। 

कर्नाटक की राजनीति में करीब एक हफ्ते तक एक बड़ा तूफान आया, जिसनें बीजेपी के बड़े-बड़े दिग्गज राजनेताओं की कुर्सी हिला दी। बीजेपी पार्टी के अश्वमेघ घोड़े पर लगाम लगाने में जेडीएस और कांगेस दोनों को न्याय के सुप्रीमों तक से गुहार लगानी पड़ी। कर्नाटक की राजनीति में जनता दल सेकुलर (जेडीएस) पार्टी की ओर से मुख्यमंत्री पद के दावेदार आज किसी परिचय के मोहताज नहीं। इनकी पार्टी इस राज्य की सबसे तीसरी बड़ी पार्टी है। कर्नाटक राजनीति में आज के चमकते सितारे कुमारस्वामी का पूरा नाम हरदनहल्ली देवगौड़ा कुमारस्वामी हैं। 


इनके मित्र और प्रियजन स्नेह से कुमारान्ना के नाम से पुकारते है। आज कर्नाटक चुनाव के प्रत्याशियों में ये सबसे धनी प्रत्याशी है। 23 मई 2018 को कुमारस्वामी जी ने शपथ ग्रहण के साथ ही इन्हें सत्ता पद का स्वाद चखने का अवसर प्राप्त हुआ। इनके लिए दूसरी बार सीएम बनना उतना ही रोचक है, जितना उनका निजी जीवन। पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा के पुत्र कुमारस्वामी को राजनीतिक विरासत अपने पिता से मिली। हालांकि वे पहले फिल्म निर्माता और फिल्म वितरक थे लेकिन बाद में पिता के पदचिन्हों पर चलकर राजनीति में आ गए।

कुमारस्वामी का जन्म 16 दिसम्बर 1959 को मैसूर क्षेत्र के हरदनहल्‍ली में हुआ। कुमार ने अपनी हाई स्कूल की शिक्षा होलेनारासिपुरा से ही पूरी कर ली थी। इसके बाद की शिक्षा इन्होंने बेंगलूरु से पूरी की। दूसरे छात्रों की तरह ही कुमार भी अपने स्कूल और कालेज के दिनों में एक सामान्य छात्र ही थे। इन्हें भी खूब  कालेज बंक कर मूवी देखना पसंद था। मूवी देखने के अपने जूनुन के चलते ही इन्होंने खुद का अपना थियेटर भी लिया हुआ है। 

अपनी पढाई के दिनों में इन्होंने कभी नहीं सोचा था कि ये राजनीति में अपना करियर बनाएंगे। परिवार में चल रहे एक हंसी-मजाक के चैलेंज को स्वीकार कर ये राजनीति में आ गए। बाद में जाकर ये चैलेंज अपनी योग्यता को साबित करने का सिद्ध हुआ।

फिल्मों को इनका दूसरा प्यार कहा जा सकता है। इन्होंने एक के बाद एक कई सफल फिल्में बनाई। इनकी कई फिल्मों ने सफलता के रिकार्ड भी कायम किए। और अब बात करते है इनके राजनीति करियर की -

सन 1996 में राजनीति में कदम रखने वाले कुमारस्‍वामी ने अब तक नौ चुनाव लड़े और छह में इन्हें जीत का सेहरा हासिल हुआ। सन 2006 से 2007 तक मात्र एक वर्ष अवधि के लिए कर्नाटक के 18 वें मुख्यमंत्री रहे हैं। इसके साथ ही कुमार जनता दल की कर्नाटक इकाई के अध्यक्ष भी हैं और मनगर विधानसभा क्षेत्र का नेतृत्व करते हैं। 

पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा अपने पुत्र के राजनैतिक भविष्य को लेकर बहुत अधिक महत्वाकांक्षी रहे हैं। अपने पुत्र को मुख्यमंत्री बनाने के लिए कुछ लोगों के ऊपर से भी जाने में भी इन्होंने संकोच नहीं किया। इसी के चलते की बार एचड़ी देवगौड़ा को आलोचनाओं का शिकार भी होना पड़ा। बात उस समय की है जब २००६ में बीजेपी की साथ इन्होंने मिलकर सरकार बनाई थी, और कुमार को पहली बार मुख्यमंत्री बनने का अवसर प्राप्त हुआ था। गठबंधन के अनुसार दोनों पार्टियों के सीएम का कार्यकाल आधा-आधा रहना था। उस समय मध्य अवधि में ही समर्थन वापस लेने पर सरकार गिर गई थी। 

राजनीतिक करियर की तरह ही कुमारस्वामी की अपनी निजी जिंदगी भी दिलचस्प रही है। खबरों की मानें तो कुमारस्वामी के दो विवाह हुए। पहला विवाह पत्नी अनीता और दूसरा विवाह साऊथ की लोकप्रिय अभिनेत्री राधिका से हुआ। जिसके फलस्वरुप इनके आंगन में पहली पत्नी से पुत्र निखिल और राधिका जी से शमिका नामक पुत्री के रुप में दो फूल खिलें। खबरें कहती है कि सन 2006 में इन्होंने कन्नड़ और तेलगू फिल्मों की अभिनेत्री और निर्माता राधि‍का से गुपचुप शादी की जबकि ये पहले से ही शादीशुदा थे। उड़ती हुई अफवाहों ने यहां तक कहा कि शमिका पुत्री राधिका की ही हैं। 

कुमारस्वामी और राधिका के संबंधों की शुरुआत 2005 के करीब हुई। जिस वर्ष कुमारस्वामी का पहला विवाह संपन्न हुआ, ठीक उसी वर्ष इनकी दूसरी पत्नी राधिका का जन्म हुआ। यही वजह है कि राधिका और इनके उम्र के बीच २७ साल का बहुत बड़ा फासला है। अपने राजनैतिक करियर को बचाए रखने की वजह से कुमार हमेशा से राधिका से अपने संबंधों को लेकर ज्यादातर चुप ही रहते है परन्तु 2010 में राधिका ने स्वयं स्वीकार किया कि कुमार के साथ इनका विवाह हो चुका है और दोनों की एक बेटी भी है।  

आईये आज कुंड्ली के माध्यम से देखें के कुमारस्वामी का आने वाला भविष्य किस प्रकार का रहने वाला है, और अब तक जो इनके जीवन में घटित हुआ उसका क्या कारण था- 

कुमारस्वामी की कुंडली का विश्लेषण

16 दिसम्बर, 1959, 18:08,  हस्सन, कर्नाटक 

कुमारस्वामी का जन्म मिथुन लग्न, मिथुन राशि है। लग्न में चंद्र विराजमान है। चतुर्थ एंव दशम भाव में केतु का अधिकार है। सप्तम भाव में शनि और सूर्य की स्थिति इनके वैवाहिक जीवन में तनाव का कारण बनी। इसी के चलते इनका प्रथम विवाह सुखमय नहीं रहा, सप्तमेश गुरु अपने से द्वादश भाव में होकर इसकी पुष्टि कर रहे हैं। पंचम भाव में स्वराशि के शुक्र की स्थिति प्रेम संबंधों में अतिरिक्त रुचि देती है। शुक्र विवाह के कारक ग्रह भी है और राहू के नक्षत्र में होने के कारण अनैतिक रिश्तों को बढ़ावा देते है। 

जन्मपत्री में दशम भाव राजनीति का भाव है, इस भाव में उच्च का ग्रह होना राजनैतिक सफलता देता है। कुमार की कुंडली में राहू सूर्य के नक्षत्र में हैं और दशम भाव को सीधा प्रभावित कर रहे हैं। दशम भाव से राहु का संबंध राजनीति में कुशलता और सफलता देती है। नवग्रहों में सूर्य सूर्य दशम भाव में हों तो व्यक्ति राजनैतिक क्षेत्र में प्रवेश करता है। सूर्य सत्ता, उच्च पद और अधिकार शक्ति से संबंधित ग्रह है। यहां सूर्य दशम में नहीं है परन्तु भाग्येश के साथ है और केंद्र में हैं। सूर्य न्यायकारक शनि के साथ है, और दशमेश केतु के नक्षत्र में हैं। आईये अब राहू ग्रह पर प्रकाश डालते है। 

राहू लग्नेश बुध की कन्या राशि और सत्ता कारक ग्रह सूर्य के नक्षत्र में स्थित है। कन्या राशि में राहु अतिरिक्त बल प्राप्त करते हैं, क्योंकि यह राहू की मूलत्रिकोण राशि हैं। राजनीति से जुड़े ग्रह सूर्य, शनि और मंगल है, इन ग्रहों का दशम भाव, दशमेश से संबंध राजनैतिक क्षेत्र में नेतृत्वशक्ति देता है। राहू और सूर्य के बाद मंगल की स्थिति का विचार किया जाता है, क्योंकि मंगल ग्रहों में व्यक्ति को लीडर बनाता है। मिथुन लग्न में मंगल आयेश होने के कारण उपलब्धियों के भाव का स्वामी ग्रह है। दशमेश और लग्नेश के साथ है परन्तु मारकेश और बाधमेश गुरु के साथ होना इनके करियर में व्यर्थ की बाधाएं अवश्य देगा।

अब दशा पर दृष्टि डालते हैं- 

वर्तमान में इनकी बुध महादशा में शनि की अंतर्दशा प्रभावी है। जैसा की ऊपर कहा गया है न्यायकारक शनि अष्टमेश और भाग्येश है अपनी अंतर्दशा अवधि में इनके सिर एक बार फिर सत्ता का ताज सजा। खास बात यह है कि शनि का अपने भाग्य भाव से दृष्टि संबंध बनने से भाग्य मजबूत हो रहा है। 

यहां से शनि राहु को भी प्रभावित कर रहे हैं। सितम्बर २०१८ में १७ वर्ष की बुध की महादशा समाप्त हो रही हैं। इनका अधिकतम कार्यकाल केतु महादशा का रहेगा। केतु मूलत्रिकोण में दशम भाव में राशिस्थ है। जिनपर दशमेश गुरु की पंचम दृष्टि है। केतु महादशा के सात साल इनके लिए उन्नतिकारक और सफलता देने वाले रहेंगे।

वर्तमान में जन्मशनि पर गोचरस्थ शनि भ्रमणशील है। यह गोचर 2020 के प्रारम्भ तक रहेगा, तब तक भाग्येश शनि का आशीर्वाद इनको प्राप्त होता रहेगा और कुमारस्वामी के सितारे कर्नाटक राज्य को रोशनी देते रहेंगे। एक बेटी भी है।  

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